आदिवासी महोत्सव / उपराष्ट्रपति नायडू ने विलुप्त हो रही जनजातीय भाषाओं पर चिंता जताई; कहा- आदिवासी बोलचाल अपनी मूल भाषा में ही करें

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव में भाग लेने मंडला पहुंचे। उन्होंने देश में विलुप्त हो रही जनजातीय भाषाओं पर चिंता जाहिर की। उन्होंने जनजातीय समाज को लेकर कहा कि उन्हें अपनी मूल भाषा को ही अपने घर की बोलचाल की भाषा बनाना चाहिए। उन्हें आधुनिक परिवेश की भाषा का उच्चारण नहीं करना चाहिए। जैसा आज हर तरफ मम्मी, डैडी का चलन हो रहा है। उन्हें अपनी ही बोली और भाषा में। जैसा की गोंड परिवार में मां को 'बउ' कहा जाता है, वही उन्हें कहना चाहिए। 


उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में जनजातीय समुदाय के विकास के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा समृद्धि और संस्कारों का संरक्षण और संवर्धन के लिए अधिक प्रयास किए जा रहे हैं। हमारे जनजातीय भाइयों और बहनों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं शुरू की हैं। जनजातीय शिल्प, वस्त्र उत्पादों के बाज़ार में उपलब्ध कराने के और अधिक प्रयास किए जा रहे हैं। आदिवासी संस्कृति संस्कारों और उनकी ललित कलाओं पर भी शोध किया जा रहा है। 


अगले साल से और बड़ा आयोजन होगा 
इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने गोंड राजाओं की विरासत को संभालने के साथ ही आगामी आयोजनों में देश के विभिन्न जनजातीय समुदायों को आमंत्रित करने की बात कही, जिससे इसकी सार्थकता और निखरेगी। इसके पहले मंडला सांसद और केंद्रीय इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने गोंड़वाना साम्राज्य के राजाओं के बलिदान और शासन प्रशाशन की ऐतिहासिक जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि गोंड वंश की राजधानी रही आज की ग्राम पंचायत रामनगर में आदि महोत्सव में वर्ष 2015 और 2018 में भव्यता के साथ आदिवासी समाज की संस्कृति उनके रहन सहन और पुरातन लोकसम्पदा को गरिमा पूर्ण इतिहास और दर्शन से रूबरू कराया गया। इसमें बड़ी संख्या में जनजाति समाज लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे। 


आदिवासी सर्व समाज ने किया विरोध 
मंडला जिले की आदिवासी महापंचायत और सर्व आदिवासी समाज ने इस आयोजन का बहिष्कार का आव्हान किया था। इसका असर भी महोत्सव के पहले दिन देखने को मिला। जब उपराष्ट्रपति निर्धारित समय में कार्यक्रम स्थल रामनगर पहुंच गए थे, लेकिन सभा स्थल में विलंब से लाया गया, क्योंकि कार्यक्रम स्थल में लोगों की संख्या काफी कम थी, इसलिए केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते बार-बार मंच से लोगों को कार्यक्रम में आने का आव्हान करते रहे।



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